बा – बापू -150
राष्ट्रीय युवा प्रशिक्षण शिविर, 9 – 11 सितम्बर, 2018
साहेबगंज, मुजफ्फरपुर की संक्षिप्त रिपोर्ट
बा – बापू -150 एवं विनोबा जयंती के उपलक्ष में आयोजित राष्ट्रीय युवा प्रशिक्षण शिविर युवा – शक्ति को एकजुट कर समाज को मजबूत बनाने एवं नये भारत के निर्माण के संकल्प के साथ संपन्न हो गया। इस शिविर में डा. एस. एन. सुब्बा राव, निदेशक,राष्ट्रीय युवा योजना, सुश्री राधा भट्ट, पूर्व अध्यक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठन एवं सर्व सेवा संघ, अमरनाथ भाई, पूर्व अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ, नारायण मुनि, चम्पारण के गांधी, अनिल प्रकाश, गंगा मुक्ति आन्दोलन, नरेन्द्र प्रसाद सिंह ,पूर्व मंत्री, बिहार सरकार, ब्रज किशोर प्रसाद सिंह,मंत्री ,गांधी संग्रहालय मोतिहारी , तापस दास, नदी बचाओ जीवन बचाओ, दयानन्द, राष्ट्रीय समन्वयक, युवा भारत, धर्मेन्द्र राजपूत,सर्वोदय कार्यकर्ता, वीरेन्द्र क्रांतिकारी , युवा संवाद अभियान , अजहर हुसैन अन्सारी, सदस्य जिला उपभोक्ता फोरम ,मोतिहारी सहित 7 राज्यों के 125 युवक एवं युवतियों ने भाग लिया।
शिविर का उद्घाटन युवाओं के प्रेरणा स्रोत डॉ. एस. एन. सुब्बाराव ने किया । उन्होंने कहा कि हमारे अंदर बहुत बड़ी शक्ति है इस को पहचानने, जानने एवं जागृत करने की आवश्यकता है। इसी शक्ति का विकास कर डरपोक मोहन महात्मा गांधी बन गए। उन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दी । जिसकी प्रेरणा से दुनिया के 117 देश आजाद हुए । उन्होंने युवाओं से अपील की एक घंटा देश को और एक घंटा दे को दे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुश्री राधा भट्ट पूर्व , अध्यक्ष गांधी शांति प्रतिष्ठान ने कहा कि बा के बिना बापू नहीं बन सकते थे । उन्होंने पूछा कि क्या सचमुच देश विकसित हो रहा है ? समाज में विकृति बढी है । विदेशों में लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान मॉब लिंचिंग की राजधानी बन रही है । विकास के नाम पर जंगलों, पेड़ों की बेशुमार कटाई हो रही है । उत्तराखंड में चार धामों को फोर लेन सड़क से जोड़ने के लिए देवदार के 10000 पेड़ों की कटाई हो रही है । मुंबई से वर्धा तक एक लाख से ज्यादा पेड़ की कटाई हुई है । जंगल हमारी अस्तित्व की निशानी है। भूजल एवं नदियों का प्रवाह घट रहा है। गर्मी में पानी कम और बरसात में उफान से तबाही होती है। यह सब विकास के नाम पर हो रहा है। विकास के नाम पर जंगल और पेड़ों को काटना एवं नदियों को बांधना विनाश को निमंत्रण देना है। इन सब सवालों पर समझ बनाने की आवश्यकता है । विनाशकारी विकास नीति पर सवाल नहीं उठाना समाज के कमजोर होने की निशानी है । सत्ता आम आदमी के हाथ में कैसे आए , समाज कैसे मजबूत हो इस पर विचार करने की आवश्यकता है । समाज ही देश बनाता है। सरकार बदल जाती हैं समाज नहीं । समाज को नैतिक रुप से मजबूत करने की जरूरत है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ विजय कुमार जायसवाल ने की। उन्होने कहा गांधी एक विचार हैं। विचारों की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहती है। उन्होंने कस्तूरबा गांधी के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया। इस अवसर पर डॉ एच एन भारद्वाज , वरिष्ठ शल्य चिकित्सक , विशिष्ट अतिथि थे। उद्घाटन सत्र में गांधी संग्रहालय मोतिहारी के मंत्री ब्रजकिशोर प्रसाद सिंह ने भी भाग लिया । अतिथियों का स्वागत श्रीनाथ प्रसाद ने किया। डॉ एस एन सुब्बाराव का परिचय डॉ रामेश्वर प्रसाद, राधा भट्ट का परिचय अरविंद वरुण, मंत्री , गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र मुज़फ़्फ़रपुर तथा अमरनाथ भाई का परिचय शाहिद कमाल, महामंत्री, राष्ट्र सेवा दल ने कराया। सत्र का संचालन अशोक भारत ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन ओम प्रकाश प्रसाद , सचिव शिविर आयोजन समिति एवं प्राचार्य आवासीय टर्निंग पॉइंट विद्यालय ने किया। इस अवसर पर टर्निंग प्वाइंट स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गान एवं गांधी जी के प्रिय भजन ‘ वैष्णव जन तो तेने कहिए ‘ प्रस्तुत किया।
शिविर की शुरुआत ‘आज की चुनौती एवं युवा’ विषय पर परिचर्चा से हुई। जिसमें युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने आज की प्रमुख चुनौतियों में नैतिकता की कमी, बेरोजगारी , शिक्षा, गरीबी , जनसंख्या एवं सोशल मीडिया द्वारा झूठ का प्रचार आदि माना। उन्होंने कहा कि गांधी का विचार मानवता की ओर था । लेकिन शिक्षा में आज मानवता नहीं बाजारीकरण के बारे में बताया जाता है। उन्होंने नैतिकता को बढ़ावा देने , युवाओं में एकता पर बल दिया । इस परिचर्चा में अमरनाथ भाई एवं अजहर हुसैन ने भी भाग लिया। अमरनाथ भाई ने कहा कि अंग्रेज चले गए मगर अंग्रेज की शिक्षा नीति आज भी चल रही है। इसमें न जीवन है न जीविका। पहले शिक्षक, माता-पिता आदर्श होते थे। आज सब कुछ बदल गया है। हमें अपनी सोच में रचनात्मक बदलाव लाना होगा। अजहर हुसैन ने कहा सवाल नीति का नहीं नियत का है । नियत ठीक हो तो नीति ठीक होगी । उन्होंने कहा युवाओं को अन्याय का विरोध करना चाहिए । परिचर्चा में सुभाशीष, वागीशा , गुड्डू कुमार, अखिलेश कुमार , एहसानुल हक अभेद आनन्द एवं सुभा द्रा आदि ने भाग लिया।
शाम में सद्भावना रैली निकाली गई , जो साहेबगंज बाजार , गांधी चौक होते हुए मिडिल स्कूल पहुंची। सद्भावना मार्च का स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया। यहाँ डॉ. एस. एन. सुब्बाराव के नेतृत्व में सर्वधर्म प्रार्थना एवं 18 भारतीय भाषाओं की नृत्य नाटिका भारत की संतान की प्रस्तुति की गई। जिसका स्थानीय लोगों पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होने इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित करने का निवेदन भाई जी से किया। भारत की संतान की तैयारी आशा सिन्हा एवं राम बाबू ने कराया ।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में ‘आज की परिस्थिति एवं गांधी विचार’ पर संवाद हुआ। जिसमें सुश्री राधा भट्ट मुख्य वक्ता थी। उन्होंने कहा कि गांधी समाज को बदलना चाहते थे। हम व्यवस्था बदलने की तैयारी नहीं रखते। आज भी हमारे देश में गरीबी , भूख , बेरोजगारी ,सबके लिए समान शिक्षा आदि मुख्य समस्या बनी हुई है। जीवन के 5 बुनियादी आवश्यकताएं भोजन ,कपड़ा, मकान ,शिक्षा एवं स्वास्थ्य सबको उपलब्ध नहीं है । देश में गरीबी का कारण विषमता है । प्राकृतिक संसाधनों पर कुछ लोगों का कब्जा है। यह कैसे सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध हो इस पर सोचने की आवश्यकता है । गरीबी रेखा की बात होती है, मगर अमीरी पर सीमा लगानी चाहिए। आतंकवाद हिंसा का जवाब गांधी विचार में है। पैसा लफंगा है। पैसे का कोई मूल्य नहीं है । मूल्य है श्रम का , चरित्र का एवं आत्मीयता का है। हमें मजबूत नौजवान चाहिए । गुलाम मानसिकता से मुक्त युवा चाहिए। गांधी की व्यवस्था को अच्छी तरह समझनी चाहिए। गांधी डायरेक्ट डेमोक्रेसी की बात करते थे । पार्टी हमारी व्यवस्था में दखलअंदाजी है। सरकारें क्रांति नहीं करती, बदलाव नहीं लाती बदलाव मनुष्य लाता है। सिर्फ पूंजी का सवाल नहीं है सवाल मानवीय रिश्तो का भी है। रिश्ता कैसे बने उस पर सोचना है । समाज मजबूत कैसे बने उसकी बात करनी है । प्रेस की आजादी ,लोकतंत्र ,शिक्षा के वर्तमान स्थिति आदि के विषय में भी युवाओं ने सवाल किए। चर्चा में रानी, रुपल, रफीक खान, अभेद आनन्द, विपिंन, विनय कुमार,राहुल आदि ने भाग लिया।
दूसरे सत्र में ‘ग्राम स्वराज क्यों और कैसे’ विषय पर चर्चा हुई , जिसमें अमरनाथ भाई एवं डॉ एस एन सुब्बाराव ने बातें रखी । अमरनाथ भाई ने कहा गांधी का दर्शन हिंद स्वराज में मिलता है। यह पूरी दुनिया के लिए है यह वैकल्पिक व्यवस्था का मॉडल है । भारत का निर्माण करना यानी ग्राम का निर्माण करना है । भारत माता ग्रामवासिनी है । रोटी और भूख , कपड़ा और नंगा के बीच पैसा है। गांव के बारे में गांव के लोग सोचें। गांव बनेगा तो देश बनेगा।
डॉ एस एन सुब्बाराव ने कहा कि ग्राम स्वराज का मतलब है अदालत से मुक्ति ,नशा से मुक्ति ,शासन मुक्ति । यह मध्य प्रदेश के बगुआर गांव में इस प्रकार का कार्य चल रहा है। वहां चुनाव सर्वसम्मति से होता है। कोई थाना नहीं है । वहां जो थाना था गांव वालों ने आवेदन देकर बंद करा दिया , क्योंकि 5 साल से वहां कोई केस दर्ज नहीं हुआ था। विकेंद्रीकरण से भ्रष्टाचार कम होगा। ऊंच-नीच की बात कम होगी । आज धर्मसत्ता, राज्यसत्ता एवं अर्थसत्ता का प्रभु चल रहा है। गांधी ने इसकी जगह लोकसत्ता की बात कही थी।
तीसरे सत्र में ‘गांधी जी के आर्थिक विचार’ विषय पर दयानंद ने बात रखी। उन्होंने कहा कि ग्राम उद्योग को बढ़ावा देकर सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। गांधी जी ऐसे मशीन के खिलाफ थे जो कुछ लोगों को शक्तिशाली बनाएं और बहुसंख्य को कंगाल। हम गांधी के स्वदेशी , स्वावलंबन , सादगी को भूल गए। आज स्मार्ट सिटी की बात हो रही है। गांधी ने कहा था कि शहरों में तो ठगों की टोलियां और वेश्याओं की गलियां होंगी आज स्मार्ट सिटी नहीं स्मार्ट गांव बनाने की आवश्यकता है । उन्होंने बुलेट ट्रेन की परियोजना का विरोध किया और कहा इसके बनने से जंगल नष्ट होंगे जिसकी भरपाई संभव नहीं है । आदिवासी उजर जाएंगे। यह विनाशकारी परियोजनाएं हैं जिसका आदिवासी विरोध कर रहे हैं।
दूसरे दिन के अंतिम सत्र में ‘स्वावलंबन से स्वराज’ विषय पर कार्यशाला आयोजित किया गया। इसका संचालन धर्मेंद्र राजपूत ने किया। उन्होंने साबून बनाना, फिनायल बनाना, शैंपू बनाना, व्हाइटनर बनाने आदि का प्रशिक्षण दिया। इसमें युवाओं ने विशेष रुचि दिखाई।
अंतिम दिन के प्रथम सत्र में ‘जल है तो कल है ‘ विषय पर संवाद हुआ। इस संवाद में अनिल प्रकाश एवं तापस दास ने भाग लिया । अनिल प्रकाश ने कहा कि विकसित देशों की विफल परियोजनाएं इस देश में विकास के नाम पर लाया जाता है । उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि अमेरिका की टिनेसी भैली परियोजना जो वहां असफल हो गई थी उसे दामोदर घाटी परियोजना के नाम पर लाया गया। इसे विकास का मंदिर कहा गया। जिसका इंजीनियर कपिल भट्टाचार्य ने विरोध किया था । उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया । उन्होंने बड़े बांध एवं नदी जोड़ परियोजना का विरोध किया। वर्षा के जल के संरक्षण के लिए पेड़ लगाने ,छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना पर कार्य करने पर बल दिया ।
तापस दास ने कहा पृथ्वी का दो तिहाई भाग जल से घिरा है। लेकिन मीठा पानी बहुत कम है। आज जल का संकट गहराता जा रहा है। हिमालय बचेगा तो नदी बचेगी। अलग से हिमालय नीति बनाने की आवश्यकता है । नदियां द्वारा लाई गई भूमि से गंगा बेसिन का मैदानी इलाका बंगाल, बिहार आदि बना है। सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी एवं विकसित हुई है। लेकिन आधुनिक सभ्यता नदियों के लिए संकट पैदा कर रही हैं। नदियां शहरों का जल मल और औद्योगिक कचरा ढोने का वाहन बन गयी है। गंगा में प्रतिदिन 300 करोड़ लीटर प्रदूषित एवं जहरीला पानी पहुंच रहा है। इसका मुख्य कारण हमारी सोच है हमें अपने सोच में बदलाव लाना होगा ।
शिविर का अंतिम सत्र युवाओं का खुलासा सत्र था। इसमें युवाओं ने अपने अनुभव, सुझाव एवं विचार प्रस्तुत किए । उन्होंने इस शिविर को अत्यंत उपयोगी माना तथा गांधी विचार को लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया। जिसकी शुरुआत खुद से करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। उन्होने कहा कि जो इस शिविर से सीखे हैं उसे आचरण में लाएंगे। इस सत्र को वीरेंद्र कांतिकारी ने भी संबोधित किया । उन्होंने महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ नौजवानों को आवाज बुलंद करने, अन्याय का प्रतिकार करने, नए भारत के निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवा चाहेगा तो देश बदलेगा । शहीदों के अधूरे सपने पूरा करने का जिम्मेदारी नई पीढ़ी को लेनी चाहिए ।
विनोबा जयंती एवं समापन समारोह के मुख्य अतिथि अमरनाथ भाई थे ।इसकी अध्यक्षता नारायण मुनि ने किया। इस कार्यक्रम में नरेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व मंत्री ने भी भाग लिया । अमरनाथ भाई , मुनि जी एवं नरेंद्र प्रसाद सिंह ने विनोबा के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि आजादी के बाद भूदान यज्ञ विनोबा का अहिंसा का सफलत्तम प्रयोग था । सर्वोदय को शिखर तक पहुंचाया। हृदय परिवर्तन पर जोर दिया। विज्ञान और आध्यात्म के समन्वय से नये समाज के निर्माण की बात कही। इसे उन्होंने सर्वोदय कहा। शिविर का संचालन अशोक भारत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन ओम प्रकाश प्रसाद ने किया ।
शिविर के दौरान नियमित रूप से सर्वधर्म प्रार्थना ,सफाई ,योग ,संस्कृति कार्यक्रम एवं सद्भावना रैली आदि का आयोजन किया गया । जिसका स्थानीय लोगों और प्रतिभागी युवाओं पर काफी सकारात्मक असर हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन उमेश तुरी एवं रफीक खान ने किया।
इस शिविर के सफल आयोजन में डा.विजय कुमार जायवाल , शाहिद कमाल, डा.रामेश्वर, सोनू सरकार, राम बाबू, श्रीनाथ प्रसाद, ओमप्रकाश प्रसाद, सुनीता कुमारी, आशा सिन्हा, श्री कान्त, रतनेश कुमार, उभय रंजन, पी के राय ,अरविन्द वरुण एवं मो .रफी आदि ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उल्लासपूर्ण वातावरण में शिविर सम्पन्न हुआ।
अशोक भारत। 9430918152, bharatashok@gmail.com