विषय : 9-11 सितम्बर 2017 को आयोजित
राष्ट्रीय युवा नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर कानपुर की रिपोर्ट
देश के बहुलतावादी स्वरूप की हिफाजत, हिंसा मुक्त, लोकतंत्र, समता एवं न्याय पर आधारित मानवीय समाज की स्थापना के संकल्प के साथ युवा संवाद अभियान के तहत आयोजित राष्ट्रीय युवा नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर 11 सितम्बर 2017 को कानपुर में सम्पन्न हो गया।
शिविर का उद्घाटन सुश्री राधा भट्ट, अध्यक्ष लक्ष्मी आश्रम कौसानी,पूर्व अध्यक्ष गांधी शांति प्रतिष्ठान एवं सर्व सेवा संघ ने किया। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्स्टाइन ने कहा था कि ‘ जिस सोच से समस्या खड़ी हुई है उसी सोच से समाधान कभी नहीं हो सकता ।’ आज का संकट विकास के पश्चिमी भोगवादी मॉडल के अपनाने से उत्पन्न हुआ है। भारत किसानों का देश है ,मगर हमने कभी नहीं सोचा कि इसे बेहतर कृषक देश बनाएं। खेती- किसानी आज गहरे संकट में है। आज भी इस देश को किसान खड़ा कर सकता है। आज देश की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवाओं की है। लेकिन युवाओं की स्थिति ठीक नहीं है। नयी सोच से युवा नया भारत का निर्माण कर सकते हैं।
प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि आज हम कई प्रकार के संकटों का सामना कर रहे हैं। जनता ने सरकार को पूरा समर्थन दिया लेकिन आज स्थिति क्या है? नौजवान और किसान दोनों की हालत खराब है। हर साल एक करोड़ रोजगार का वादा किया गया था उसका क्या हुआ? सबसे बड़ा संकट मानवीय रिश्तों का है। यह चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष है। चम्पारण में गांधी जी ने किसानों को निर्भय किया। गांधी जी के काम करने की पद्धति वैज्ञानिक थी। राजकुमार शुक्ल के कारण गांधी जी किसानों की खराब स्थिति से रू-ब-रू हो सके, जिसका असर पूरे स्वतंत्रता आन्दोलन पर पड़ा। इस मामले में मैं राजकुमार शुक्ल को गांधी जी का गुरु मानते हूँ।
दीपक मालवीय, अध्यक्ष, लोक सेवक मंडल ने कहा कि युवा संवाद की जरूरत क्यो पड़ी।? संवाद से गलतफहमी दूर होती है। आज धर्म के नाम पर देश बनाने वालों की स्थिति क्या है? पाकिस्तान एक नहीं रह सका। भारत माता की जय बोलने का मतलब है देश में रहने वालों की जय, किसानों और नौजवानों की जय। पर्यावरण के गहराते संकट ,हिंसा और आतंकवाद की चुनौती से महात्मा गांधी का मार्ग विश्व को रास्ता दिखा सकता है।
अशोक भारत , राष्ट्रीय संयोजक युवा संवाद अभियान ने कहा कि युवा संवाद अभियान एक सृजनात्मक दृष्टि है । रचना और आन्दोलन के समन्वय से यह नये भारत के निर्माण का राष्ट्रीय अभियान है । जिस स्वराज्य के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी वह स्वराज्य लोगों को मिला नहीं है। असली स्वराज्य की लड़ाई देश के नौजवानों और किसानों को मिलकर लड़नी है। युवा संवाद अभियान इस लक्ष्य को सामने रखकर कार्य कर रहा है। आज जरूरत है युवा-शक्ति की सोच में रचनात्मक परिवर्तन लाने की,उसे देश के नवनिर्माण में लगाने की।
रूपल, गांधी शांति प्रतिष्ठान , नई दिल्ली ने कहा कि युवाओं को इस भावना से काम करना चहिए कि हमें नया भारत बनाना है और इसकी पहल हम करेंगे। उन्हे अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत समिति के अध्यक्ष राम किशोर वाजपेयी ने अतिथियों एवं उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। शिविर व्यवस्था के संयोजक नौशाद आलम ने गांधी विचार की प्रासंगिकता एवं शिविर के आयोजन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
शिविर में प्रथम दिन स्री-शक्ति और समाज परिवर्तन विषय पर चर्चा हुई
। चर्चा में भाग लेते हुए अलवर, राजस्थान की युवा लेखिका सरिता भारत ने कहा कि समाज-परिवर्तन में महिलाओं ने हमेशा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। सामाजिक आन्दोलन के लिए जेल जाने वाली कस्तूरबा गांधी दुनिया की पहली महिला थीं,जब वे दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के दौरान जेल गयीं। आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें झलकारी बाई, रानी लक्ष्मी बाई, कस्तूरबा गांधी, सरोजनी नायडू, अरुणा आसफ अली आदि उल्लेखनीय है। नारी विलास की लता ही नहीं, उद्बोधन की किरण भी है; वह त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति ही नहीं, शत्रुओं का संहार करने वाली साक्षात रणचण्डी भी है।
उर्मिला श्रीवास्तव , अध्यक्ष सर्वोदय आश्रम हरदोई ने कहा कि लड़का लड़की में भेद किया जाता है। इसकी शुरूआत बचपन से ही हो जाती है। लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है और लड़कियों पर तमाम प्रकार की बंदिशें होती हैं। काम के बँटवारे में लड़कियों को ज्यादा बोझ होता है। लड़की दोयम दर्जे की मानी जाती है। भेदभाव के कारण बहुत कम लड़कियां नौकरी में जा पाती हैं। स्थिति बदल रही है मगर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। महिलाओं को देह सजाने की बजाय बुद्धि के विकास पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। स्री सशक्तीकरण बहुत बड़ मुद्दा है । इसमें सब के सहयोग की जरूरत है।
राधा भट्ट ने कहा कि महिलाओं के पिछड़ेपन का कारण गलत शिक्षण एवं सामाजिक संरचना है। निर्णय में महिलाओं की बराबरी की हिस्सेदारी होनी चाहिए। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में जीवन-शक्ति ज्यादा है। स्त्रियों में करुणा ज्यादा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दया, क्षमा आदि गुणों को अवगुण मान लिया गया है। अवसर मिलने पर महिलाएं वह काम कर देती हैं जो पुरुष नहीं कर पाते। चर्चा में अनेक शिविरार्थियों ने भाग लिया ,प्रश्न किए तथा अपने विचार रखे।
शिविर के दूसरे दिन ‘आज की चुनौती, युवा और गांधी’ तथा पर्यावरण और विकास विषय पर संवाद हुआ।
अमरनाथ भाई, पूर्व अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ ने कहा कि यह विज्ञान का युग है । मगर विज्ञान का जितना उपयोग लोगों के जीने के लिए हो रहा है उससे ज्यादा लोगों को मारने के लिए हो रहा है। विज्ञान ने पड़ोसी तो बना दिया मगर पड़ोसीपन का भाव पैदा नहीं किया। हिंसा और आतंकवाद बहुत बड़ी चुनौती है। आज पर्यावरण का संकट गहराता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। उग्र-राष्ट्रवाद, संकीर्णता, साम्प्रदायिकता,भ्रष्टाचार और विषमता देश को खोखला कर रहे हैं। इनका उपचार गांधी-विचार में है। एकादश व्रत,रचनात्मक कार्यक्रम एवं सत्याग्रह यह गांधी की विश्व को देन है। यह समाज रहने लायक नहीं है । युवा अपने रहने लायक समाज बनाए। युवाओं में जोखिम उठाने की ताकत होती है। विज्ञान और अध्यात्म का योग आवश्यक है। विज्ञान और अध्यात्म के मेल से जो समाज बनेगा उसी का भविष्य है।
अशोक भारत, राष्ट्रीय संयोजक युवा संवाद अभियान ने कहा कि इतिहास बदला लेने की चीज नहीं है। इतिहास अतीत से सबक लेकर भविष्य सँवारने के लिए होता। लेकिन कुछ लोग युवाओं में गलत समझ बना रहे है। एक महापुरुष के खिलाफ दूसरे महापुरुष को खड़ा कर रहे है। इसी के कारण आज युवाओं के मन में यह प्रश्न है कि गांधी जी अगर चाहते तो भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे। जो लोग यह भ्रम फैला रहे है उन्होंने न तो गांधी जी को समझा है और न भगत सिंह को। हकीकत तो यह है कि भगत सिंह को फांसी पर चढाने में उनके संगठन के क्रांतिकारी साथी – जिन्हें कभी भगत सिंह ने एच एस आर ए का गहना कहा था – जय गोपाल और हंसराज बोहरा का सरकारी गवाह बनना था। एसेम्ब्ली बम कांड में उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी। सुभाष चन्द्र बोस का मानना है कि महात्मा जी ने भगत सिंह को बचाने के लिए पूरा प्रयास किया। उन्होने ऐतिहासिक संदर्भों के साथ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस और गांधी जी के बयान को उद्धृत कर सप्रमाण साबित कर दिया कि इस तरह की बात फैलाने वाले भ्रम फैला रहे हैं। वे स्वयं का और देश का नुकसान कर रहे हैं।
पर्यावरण और विकास विषय पर जागृति राही ने कहा कि उत्तराखण्ड के केदारनाथ की आपदा में तथाकथित विकास योजनाओं का भी योगदान रहा है। यह बात सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ कमिटि की रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाती है। आज बजट का एक बड़ा हिस्सा हथियार पर खर्च हो रहा है और देश का 50 फीसदी बच्चा कुपोषित है। इस विकास के कारण नदी नाला बन गई है ,जंगल समाप्त हो रहा हैं और पहाड़ खोदे जा रहे हैं। भोग पर आधारित विकास नीति पूरे विश्व में संकट के कारण बन रही है। विश्व को संचालित करने वाली शक्तियों का आज बाजार पर नियंत्रण है। वे ही लोग हथियारों के कारोबार में है। पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात को विकास का मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन गुजरात आज पूरी दुनिया के कचरे का डंपिंग क्षेत्र बन गया है। गुजरात सरकार पैसा लेकर यह कार्य कर रही है। यह भयावह स्थिति है। आज स्मार्ट सिटी ,बुलेट ट्रेन को विकास का प्रतिमान बनाया जा रहा है। लेकिन शहरों में जो कचरा पैदा हो रहा है उसके निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं है।
राधा भट्ट ने कहा कि विकास की मौजूदा अवधारणा गलत है। हम सबका विकास चाहते है। लोगों के हाथ में जल जंगल और जमीन का अधिकार होना चाहिए। । विकास की कीमत सिर्फ गरीबों को क्यों चुकानी चाहिए। । जिन्हें इस विकास से लाभ मिल रहा है वे क्यों न इसका भार वहन करें। गांधी जी ने हमें एक मंत्र दिया था जिसे गांधी जी का जंतर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि किसी नीति की सही कसौटी तो यही होनी चाहिए कि उस नीति से अंतिम व्यक्ति को लाभ मिल रहा है कि नहीं। लेकिन तथाकथित विकास की अंधी दौड़ में हमने गांधी के मूल मंत्र को भुला दिया। प्रकृति पर विजय प्राप्त करने की विज्ञानवादी मानसिकता के कारण आज का संकट पैदा हुआ है । गांधी जी ने हमें सिखाया कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर जीना सही विकास है। उन्होंने कहा कि इस धरती में सभी लोगों की आवश्यकता की पूर्ति करने की सामर्थ्य है, मगर एक भी आदमी का लालच पूरा करने का सामर्थ्य नहीं है। इसको ध्यान में रख कर जो विकास होगा वह सही विकास होगा। इस सत्र में छोटे भाई नरोना एवं कई युवाओं ने अपने विचार रखे।
दूसरे सत्र में वर्तमान अर्थव्यवस्था और युवा विषय पर संवाद हुआ। डा. ए के अरुण, संपादक ,युवा संवाद ने विस्तार से मौजूदा आर्थिक नीतियों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आज की अर्थव्यवस्था विषमता बढ़ाने वाली, बड़े कारोबारियों ,पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली और गरीब-विरोधी है। इस व्यवस्था में आम जन, किसान ,कारीगर और युवाओं के लिए कोई जगह नहीं है। युवाओं को आपने ज्ञान के दायरे को बढ़ाना चाहिए। और इस व्यवस्था को बदलने के लिए कार्य करना चाहिए। चर्चा में अमरनाथ भाई सहित अनेक शिविरार्थियों ने भाग लिया और आपने विचार रखे।
शिविर के तीसरे दिन जन स्वास्थ्य की चुनौततियां तथा शिक्षा, रोजगार एवं युवा विषय पर संवाद हुआ।
डा. ए के अरुण ने ‘जन-स्वास्थ्य की चुनौतियाँ’ विषय पर भी वार्ता प्रस्तुत की जिसे काफी पसंद किया गया । उन्होंने जन-स्वास्थ्य की चुनौतियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के दबाव में है और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। जिसका एक उदाहरण आयोडाइज्ड नमक है । आयोडाइज्ड नमक की आवश्यता सिर्फ उन इलाको में है जहाँ आयोडिन की कमी के कारण समस्या( ग्वायटर रोग) है। मगर कम्पनियों के दबाव में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि आयोडीन के अत्यधिक उपयोग के कारण थायराइड की बीमारी तेजी से फैल रही है। उन्होने स्वास्थ्य के क्यूबा मॉडल का भी उल्लेख किया और इस तरह के मॉडल भारत में बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिविर में शिक्षा, रोजगार एवं युवा विषय पर समूह चर्चा हुई जिसमें सभी शिविरार्थियों ने भाग लिया और रिपोर्ट प्रस्तुत की जो काफी बढ़िया थी । इसके बाद इस विषय पर वीरेन्द्र क्रांतिकारी ,सदस्य राष्ट्रीय संयोजन समिति, युवा संवाद अभियान ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि रोजगार का सवाल युवाओं की जिन्दगी का बड़ा सवाल है जिसका समाधान ढूंढना आवश्यक है। सरकार की गलत नीतियों के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। इसका समाधान युवाओं को ही ढूंढना होगा। अभियान इस दिशा में पहल कर रहा है।
दयानन्द, राष्ट्रीय संयोजक, युवा भारत ने कहा कि रोजगार के नाम पर सरकार ने जो भी योजनाएं शुरू कीं, स्टार्ट अप, मेक इन इन्डिया, डिजिटल इन्डिया, स्टैन्ड अप, मुद्रा योजना आदि, उनके वांछित परिणाम नहीं आ रहे हैं। आई टी क्षेत्र में बहाली रुकी है ,छँटनी हो रही है। सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों में रिक्त पड़े सभी पदों को समाप्त कर दिया है। नोटबंदी का सबसे बुरा असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ा है। असंगठित क्षेत्र तबाह हो गया है जहाँ सबसे ज्यादा रोजगार होता था। विकास दर में जैसी संभावना थी उससे भी ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है, जिसका मतलब है लाखों लोगों के रोजगार का खत्म होना। अच्छे दिन के नाम पर युवाओं को जो सपने दिखाए गए वे पूरे नहीं हो रहे हैं।
शिविर में ‘स्वावलंबन से स्वराज्य’ के तहत स्वावलंबन की विधियों का प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें साबुन बनाना, तेल बनाना आदि शामिल हैं। शिविर में साबुन बनाना सिखाया गया, जिसका संचालन धर्मेन्द्र राजपूत ने किया।
शिविर का संचालन अशोक भारत ने किया। सर्व धर्म प्रार्थना, योग, श्रम संस्कार एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि शिविर के नियमित कार्यक्रम में शामिल थे। योग एवं प्रर्थना सत्र का संचालन धर्मेन्द्र भाई राजपूत ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन उमेश तुरी, युवा भारत के राष्ट्रीय संयोजक ने किया। युवाओं ने अपने सशक्त प्रस्तुति से पूरे शिविर को संगीतमय कर दिया। जिसमें संगीत, लोकगीत, लोक नृत्य, नृत्य एकल एवं समूह नृत्य विशेष उल्लेखनीय है। शुभेन्दु पाठक ,पश्चिम बंगाल के निर्देशन में प्रस्तुत लघु नाटक को बहुत सराहा गया। उमेश तुरी ने सशक्त संचालन से सबको प्रभावित किया। उमेश तुरी ने शिविर के दौरान भी क्रांतिगीत प्रस्तुत किए। शिविर के सफल आयोजन में कानपुर विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग(एम एस डब्लू) के छात्र- छात्राओं ने समरेश राय के नेतृत्व में महत्तवपूर्ण योगदान दिया।
यह शिविर युवा संवाद अभियान के तहत लोक सेवक मंडल एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान केद्र कानपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस शिविर में दस राज्यों उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, म.प्र. महाराष्ट्र, दिल्ली,उत्तराखण्ड,उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के 110 से ज्यादा युवक-युवतियों ने भाग लिया। शिविर के सफल आयोजन में राम कुमार वाजपेयी एवं समरेश राय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिविर का समापन एवं विनोबा जयन्ती के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमरनाथ भाई थे। इस कार्यक्रम में राधा भट्ट, पद्मश्री गिरिराज किशोर, दीपक मालवीय, अशोक भारत, जगदम्बा भाई, सुरेश चन्द्र गुप्ता आदि शामिल थे। वक्ताओं ने संत विनोबा भावे के प्रेरक व्यक्तित्व एवं कार्यों पर प्रकाश डाला। इसका संचालन नौशाद आमल ने किया। इस अवसर पर लोक सेवक मंडल द्वारा अमरनाथ भाई, राधाभट्ट, गिरिराज किशोर,अशोक भारत,डा. ए के अरूण आदि का सम्मान किया गया । शिविर का समापन दीपक मालवीय के गीत ‘एक दुलारा देश हमारा’ से हुआ।
अशोक भारत
राष्ट्रीय संयोजक , युवा संवाद अभियान